ज्योतिषीय योगो की सत्यता : आज के समय में परंपरागत ज्योतिषी, वैदिक ज्योतिषी बन तरह तरह के ज्योतिषीय योगो की बात करते है उनके अनुसार जातक या मनुष्य अमीर होगा या गरीब होगा, राजा होगा या फकीर होगा ये उसकी कुंडली में ग्रह योगो के आधार पर ही निर्धारित हो सकता है ! आज विभिन्न प्रकार के राजयोगो की ज्योतिष जगत में बहुत चर्चा है गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, लक्ष्मी योग, दरिद्र योग आदि आदि न जाने कितने ही शुभ-अशुद्ध योग ज्योतिष जगत में प्रचारित है ! इन योगो का प्रतिपादन किस आधार पर किया गया समझ से बाहर की बात है !
आज व्यावहारिक रूप से यदि ज्योतिषीय योगो की सत्यता का मूल्याङ्कन किया जाता है तो स्पष्ट होता है की सैकड़ो लोग जिनकी कुंडली में गजकेसरी, लक्ष्मी योग आदि शुभ एवं राज सुख दाई योग मौजूद है परन्तु वह दो वक्त भर पेट रोटी को मौताज है ! ठीक इसी प्रकार कुछ योग जिनका परिणाम या प्रभाव ज्योतिष जगत में यह बताया जाता है की प्रेमविवाह योग , पति वियोग योग, बंधन योग (जेल यात्रा), पुत्र वियोग योग, द्विभार्या योग, द्विपतियोग, आदि आदि न जाने कितने ही योग है यदि सभी की चर्चा की जाये तो संभव नहीं है !
जब हम चर्चा करते है की व्यवहार में यह सब सच नहीं है जहा परम्परागत ज्योतिषी घोषणा करते है की जातक की कुंडली में गजकेसरी योग या लक्ष्मी योग है जातक लोकप्रिय, समृद्ध और अमीर होगा परन्तु इस प्रकार के अनेक योग कुंडली में मौजूद होने के बाद भी अधिकांश लोग दरिद्रता, दुःख तथा कठिनाइयों से ग्रस्त हैं और एक अस्पष्ट जीवन जी रहे है कुछ मामलो में देखा गया की जातक के पास सभी सुविधाए थी पंडित कहते है की योग शुभ है परन्तु जातक ने जीवन में सब कुछ खो दिया है, सभी सुविधाए समाप्त हो गयी बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे जातक बेघर हो गया !
आज जब परम्परागत ज्योतिषी ग्रह योगो के आधार पर किसी महिला से कह देते है कि आपके पति की कुण्डली मे द्विभार्या योग है तो वो परेसान हो जाती है फ़िर शुरु होत है योग शान्ति का खेल ! कुछ पारंपरिक ज्योतिष जगत के विद्वान पहले अशुभ योग का बखान करते है फ़िर भविष्य में सफलता एवम खुशी की झूठी उम्मीदें देकर ग्राहक को प्रोत्साहित करते है क्या कभी किसी ज्योतिषी ने एक निर्धन बेघर व्यक्ति जिसकी कुण्डली मे गजकेसरी योग और लक्ष्मी योग है उसके अप्रभावी योग को प्रभावी करने मे सफ़लता प्राप्त की है !
वैदिक ज्योतिष कहती है की जो कुण्डली मे है वो ही प्राप्त होगा रही बात कि कब और कैसे प्राप्त होगा यह ग्रह अपने स्वामित्व एवम स्थित राशि एवम नक्षत्र की सूचना के अनुसार एवम दशाओ के समय ही प्राप्त होता है !
अब हम चर्चा करे कि आखिर योग है क्या ग्रह की किसी राशि मे, किसी ग्रह के साथ संयोजन ही एक योग है परन्तु यह योग क्या कह रह है यह ग्रह की स्थिति एवम स्वमित्व के ऊपर निर्भर करता है !
अब ज्योतिषी कहते है कि अमुक ग्रह शुभ है अमुक ग्रह अशुभ है तो सबसे पहले यह स्पष्ट करना चाह्ता हू कि ना ही कोई ग्रह शुभ होता है ना ही अशुभ !
अब चर्चा कि कहा जाता है कि 6, 8 एवं 12 भाव अशुभ है तो सबसे पहले यह समझने का प्रयास करे कि 6 भाव सभी विषयो के लिये अशुभ नही है यदि हम किसी प्रतियोगिता मे जातक के सम्मिलित होने के विषय पर देखे तो 7 भाव प्रतियोगिता मे जातक के प्रतियोगी को दर्शाता है तथा 6 भाव प्रतियोगी का व्यय भाव है यदि प्रतियोगिता के समय 7 भाव का स्वामी 6 भाव मे गोचर कर रहा है तथा वह 11 वे भाव के कारक ग्रह के नक्षत्र मे गोचर वश है तो जातक को सफ़लता प्राप्त होगी इसमे तनिक भी सन्देह नही है !
किसी कुंडली में राजयोग या अशुभ योग होना एक गारंटी नही है ! ग्रहो के परम्परागत गुणो, स्वमित्व एवम स्थित भाव एवम नक्षत्रो का अध्यन किये बिना कोई भी फ़लादेश करना पांडित्य की अल्पता का प्रमाण प्रस्तुत करता है !
आज व्यावहारिक रूप से यदि ज्योतिषीय योगो की सत्यता का मूल्याङ्कन किया जाता है तो स्पष्ट होता है की सैकड़ो लोग जिनकी कुंडली में गजकेसरी, लक्ष्मी योग आदि शुभ एवं राज सुख दाई योग मौजूद है परन्तु वह दो वक्त भर पेट रोटी को मौताज है ! ठीक इसी प्रकार कुछ योग जिनका परिणाम या प्रभाव ज्योतिष जगत में यह बताया जाता है की प्रेमविवाह योग , पति वियोग योग, बंधन योग (जेल यात्रा), पुत्र वियोग योग, द्विभार्या योग, द्विपतियोग, आदि आदि न जाने कितने ही योग है यदि सभी की चर्चा की जाये तो संभव नहीं है !
जब हम चर्चा करते है की व्यवहार में यह सब सच नहीं है जहा परम्परागत ज्योतिषी घोषणा करते है की जातक की कुंडली में गजकेसरी योग या लक्ष्मी योग है जातक लोकप्रिय, समृद्ध और अमीर होगा परन्तु इस प्रकार के अनेक योग कुंडली में मौजूद होने के बाद भी अधिकांश लोग दरिद्रता, दुःख तथा कठिनाइयों से ग्रस्त हैं और एक अस्पष्ट जीवन जी रहे है कुछ मामलो में देखा गया की जातक के पास सभी सुविधाए थी पंडित कहते है की योग शुभ है परन्तु जातक ने जीवन में सब कुछ खो दिया है, सभी सुविधाए समाप्त हो गयी बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे जातक बेघर हो गया !
आज जब परम्परागत ज्योतिषी ग्रह योगो के आधार पर किसी महिला से कह देते है कि आपके पति की कुण्डली मे द्विभार्या योग है तो वो परेसान हो जाती है फ़िर शुरु होत है योग शान्ति का खेल ! कुछ पारंपरिक ज्योतिष जगत के विद्वान पहले अशुभ योग का बखान करते है फ़िर भविष्य में सफलता एवम खुशी की झूठी उम्मीदें देकर ग्राहक को प्रोत्साहित करते है क्या कभी किसी ज्योतिषी ने एक निर्धन बेघर व्यक्ति जिसकी कुण्डली मे गजकेसरी योग और लक्ष्मी योग है उसके अप्रभावी योग को प्रभावी करने मे सफ़लता प्राप्त की है !
वैदिक ज्योतिष कहती है की जो कुण्डली मे है वो ही प्राप्त होगा रही बात कि कब और कैसे प्राप्त होगा यह ग्रह अपने स्वामित्व एवम स्थित राशि एवम नक्षत्र की सूचना के अनुसार एवम दशाओ के समय ही प्राप्त होता है !
अब हम चर्चा करे कि आखिर योग है क्या ग्रह की किसी राशि मे, किसी ग्रह के साथ संयोजन ही एक योग है परन्तु यह योग क्या कह रह है यह ग्रह की स्थिति एवम स्वमित्व के ऊपर निर्भर करता है !
अब ज्योतिषी कहते है कि अमुक ग्रह शुभ है अमुक ग्रह अशुभ है तो सबसे पहले यह स्पष्ट करना चाह्ता हू कि ना ही कोई ग्रह शुभ होता है ना ही अशुभ !
अब चर्चा कि कहा जाता है कि 6, 8 एवं 12 भाव अशुभ है तो सबसे पहले यह समझने का प्रयास करे कि 6 भाव सभी विषयो के लिये अशुभ नही है यदि हम किसी प्रतियोगिता मे जातक के सम्मिलित होने के विषय पर देखे तो 7 भाव प्रतियोगिता मे जातक के प्रतियोगी को दर्शाता है तथा 6 भाव प्रतियोगी का व्यय भाव है यदि प्रतियोगिता के समय 7 भाव का स्वामी 6 भाव मे गोचर कर रहा है तथा वह 11 वे भाव के कारक ग्रह के नक्षत्र मे गोचर वश है तो जातक को सफ़लता प्राप्त होगी इसमे तनिक भी सन्देह नही है !
किसी कुंडली में राजयोग या अशुभ योग होना एक गारंटी नही है ! ग्रहो के परम्परागत गुणो, स्वमित्व एवम स्थित भाव एवम नक्षत्रो का अध्यन किये बिना कोई भी फ़लादेश करना पांडित्य की अल्पता का प्रमाण प्रस्तुत करता है !