सोमवार, 19 जुलाई 2010

नव ग्रहों की शांति के सरल उपाय



नव ग्रहों की शांति के सरल उपाय:-

कुंडली में जब भी कोई ग्रह अशुभकारी होता है तो वो ग्रह अपनी दशा तथा गोचर में जातक को कष्ट प्रदान करता है जिससे निजात पाने के अनेक तरीके विद्वानों ने बताये है जिनमे से प्रमुख जो मैंने लोगो को बताये और जिनसे लोगो को फायदा हुआ है उनके बारे में यहाँ वर्णन कर रहा हूँ :-

सूर्य:- माणिक्य, ताम्र पात्र, गेहूँ, लाल चन्दन, लाल वस्त्र, का रविवार को दान करना चाहिए! प्रतिदिन प्रात: काल सूर्य को जल देना चाहिए !  "ओम ह्रां हीं सः सूर्याय नमः" मन्त्र का जप करना चाहिए ! 

चंद्र:- मोती, चाँदी, चावल, दूध, श्वेत मोती, का दान सोमवार को करना चाहिए ! प्रतिदिन शिवलिंग पर दूध चढ़ाना 
चाहिए ! "ओम श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः" मन्त्र का प्रतिदिन जप करना चाहिए !

मंगल:- मूँगा, ताम्रपात्र, मसूर की लाल दाल, लाल मूँगा, का दान मंगलवार को करना चाहिए ! यदि मंगल अधिक अशुभकारी हो तथा दुर्घटना का भय हो तो खून (रक्त) का दान किसी अंजान जरूरतमंद को करना चाहिए ! 
"ओम क्रां क्रीं क्रों सः भौमाय नमः" मन्त्र का जप करना चाहिए !

बुध:- पन्ना, कांसा, मूँग हरा, का दान बुधवार को करना चाहिए ! बच्चो को हरे रंग की टॉफी या अन्य सामग्री का दान करना चाहिए ! गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए ! "ओम ब्रां ब्रीं ब्रों सः बुधाय नमः" मन्त्र का जप करना चाहिए !

गुरु:- पुखराज, सोना, चनादाल, पीली हल्दी, धार्मिक ग्रन्थ का दान गुरुवार के दिन विद्वान एवम सात्विक ब्राम्हण को करना चाहिए !
"ओम ग्रां ग्रीं ग्रों सः गुरुवै नमः" मन्त्र का जप करना चाहिए !

शुक्र:- हीरा, चाँदी, चावल, श्वेत स्फटिक, स्वेत वस्त्र, इत्र का दान करना शुक्रवार को चाहिए !  
"ओम द्रां द्रीं द्रों सः शुक्राय नमः" मन्त्र का जप करना चाहिए !

शनि:- नीलम, लोहा, उड़ददाल काला, नीलमणि, सरसों का तेल दान शनिवार को करना चाहिए ! यदि शनि अधिक अशुभकारी हो तो लोहे की कटोरी में सरसों का तेल ले कर उसमे अपने चेहरा देखने के बाद उस तेल में काले तिल दाल कर शनिवार को दान करना चाहिए !
"ओम प्रां प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नमः" मन्त्र का जप करना चाहिए !

राहु:- गोमेद, सीसा, तिल काला, काला वस्त्र का दान शनिवार को करना चाहिए ! राहु अधिक अशुभकारी हो तो जिन्दा मछलियों को जल में छोड़ना चाहिए ! "ओम भ्रां भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः" मन्त्र का जप करना चाहिए !
केतु:- लहसुनिया, लोहा, तिल काला,  ध्रूमवर्ण वस्त्र, का दान शनिवार को करना चाहिए ! 
"ओम स्रां स्रीं स्रों सः केतवे नमः" मन्त्र का जप करना चाहिए !


शनिवार, 17 जुलाई 2010

विंशोत्तरी दशा पद्धति तथा फलादेश


वास्तव में विंशोत्तरी पद्धति ज्योतिष जगत कि सर्वाधिक प्रचलित एवम सर्वमान्य दशा पद्धति रही है इसके बारे में भारतीय वैदिक वैज्ञानिक पराशर जी ने तो एक ग्रन्थ ही लिखा है "उडुदाय  प्रदीप" जिसे लघुपाराशरी भी कहा जाता है उदु अर्थात नक्षत्र , दाय अर्थात दशा !
ज्योतिष जगत में विंशोत्तरी दशा पद्धति से फलादेश कि प्रथा तो अत्यंत ही प्राचीन है परन्तु यदि इस पद्धति से फलादेश करने वालो कि बात करे तो उनके फलादेश के जो नियम है वो कम ही समझ में आते है मैंने अपने एक मित्र जो स्वयम एक प्रतिष्ठित ज्योतिषी है उनसे कहा कि भाई जी आपकी दशा पद्धति तो नक्षत्र आधारित है पर फलादेश का तरीका उसमे कहीं भी नक्षत्र को महत्व ही नहीं दिया जाता कारण क्या है ! वो भी बिचारे क्या करते कहने लगे हमतो लघुपाराशरी के आधार पर ही फलादेश करते है हम ने कहा  फलादेश शतप्रतिशत सही भी तो नहीं होते इस बात को उन्होंने टाल दिया ! भैया जो पद्धति नक्षत्र आधारित है उसका फलादेश राशि के आधार पर नहीं हो सकता, अरे भाई इतने नियम बना डाले कि ग्रह यहाँ हो तो ऐसा होता है यहाँ देखे तो ऐसा होता है फल ग्रह शुभ होता है फल ग्रह अशुभ होता है 
जन्म समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उस नक्षत्र के आधार पर यह निश्चित हो जाता है कि किस ग्रह कि दशा में जन्म हुआ है !
प्रत्येक ग्रह जिस नक्षत्र में स्थित होता उस नक्षत्र स्वामी ग्रह के अनुसार फल प्रदान करता है माना कि मंगल यदि सुकर के नक्षत्र में स्थित हो तो मंगल उत्त्साह में बदल जायेगा और शुक्र जहा स्थित होगा वाहा कि बात करने लगेगा !
ग्रह जिस भाव का स्वामी होता है उस भाव कि बात कर रहा होता है परन्तु जहा स्थित होता है उस भाव में अपने स्वामित्व वाले भाव कि बात करता है !
उदाहरण के लिए मेष लग्न कि कुंडली में शुक्र दुसरे तथा सप्तम भाव का स्वामी होता है वो दुसरे तथा सप्तम भाव के विषय का फल प्रदान करेगा अब शुक्र किसी भी बहव में स्थित हो यदि वो किसी ऐसे ग्रह के नक्षत्र में स्थित हो जो ग्रह ग्यारहवे भाव में स्थित हो तो शुक्र कि दशा में लाभ ही होगा कारण शुक्र का नक्षत्र स्वामी लाभ भाव में है !
वृश्चिक लग्न कि कुंडली में शनि तृतीय एवम चतुर्थ भाव का स्वामी होकर छटे भाव भाव में केतु के नक्षत्र में स्थित है केतु ग्यार्वे भाव में है जातक कि शनि कि दसा लगते ही जातक को जर्दुस्त धन लाभ हुआ ये प्रमाण है!

रविवार, 11 जुलाई 2010

आज ११ जुलाई २०१० का सूर्यग्रहण और उसका प्रभाव - आतंकी घटनाओ का अंदेशा

आज होने वाले सूर्यग्रहण का प्रमुख प्रभाव अमेरिका में और उसके आसपास के देशो में ही रहेगा ऐसा ज्योतिषयो का कहना है खैर ये मै नहीं मानता आर्थिक मंदी अमेरिका में आई असर तो पूरे विश्व में पड़ा ही भाई सूर्य रात में अमेरिका में है कारण वहां दिन है तो भारत में जो चाँद-सितारे चमक रहे है वो उसी सूर्य के प्रकाश के कारण ही तो है अगर सूर्य कि उर्जा प्रभवित हो रही है तो असर उसका सम्पूर्ण विश्व में होगा हा कही कम तो कही ज्यादा ये माना जा सकता है , अरे भाई बेटा बीमार होगा तो माना कि मुख्य तकलीफ बेटे को होगी परन्तु बेटे कि बीमारी से कुछ न कुछ परेशानी तो पूरे परिवार को होगी ही कारण बेटे से जिसका भी सम्बन्ध है उसे तकलीफ तो होगी ही न !
सूर्य अर्थात इस ब्रम्हांड के प्रमुख शासक जो आज गुरु के नक्षत्र में गोचर कर रहा है अर्थात राजा जो अपने अधिकार क्षेत्र में है उसकी उर्जा का ह्रास हो रहा है प्रमुख बात यह है कि सूर्य मिथुन राशि में है तथा उसकी द्रष्टि भी धनु राशि में है अर्थात अधिकार के क्षेत्र में अर्थात इस सूर्य ग्रहण का प्रमुख प्रभाव यह है कि विश्व एक बार फिर से मंदी के दौर का सामना करेगा विश्व में सरकारों द्वारा मंदी को नियंत्रित करने के लिए चलाई जा रही योजनायें एक बार फिर से बेकार साबित होंगी !
राजा कि परेशानी अर्थात जनता परेशान कही बाढ़ से तो कही सुखे से जनता तो परेशान होगी ही !