रविवार, 6 नवंबर 2011





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M.No. 91+9236075255, 91+8081825333

देव दीपावली के अवसर पर दीप दान से होता है भाग्योदय.
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१० नवम्बर २०११ को कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन देव दीपावली है, देवदीपावली 


(पूर्णिमा) को रात्रि में देव नदी गंगा में दीप दान करना चाहिये, शास्त्रों में इस रात्रि


विशेषकर गंगा में दीप दान का बहुत महत्व बताया गया है, जिन स्थानो पर गंगा 


नहीं है वहां अन्य किसी नदी में अथवा सरोवर आदि में देवताओं के निमित्त दीप 


दान करना चाहिय्र !


देव दीपावली को दीपदान करने से जीवन का समस्या रूपी अन्धकार समाप्त होता है


तथा आनन्द और समृद्धि रूपी प्रकाश जीवन में हो जाता है ! 


यहां सभी लग्न के लोगों के लिये दीप दान के विशेष प्रयोग प्रस्तुत हैं आप अपनी 


सामर्थ्य अनुसार दीप दान करें दीप दान करने के लिये एक खाली दोना तथा उसमें


आवश्यक सामग्री तथा सामग्री के ऊपर एक दीपक जलाकर रखे तथा उसे जल में 


प्रवाहित कर देवताओं को अर्पित करना चाहिये तथा निवेदन करना चाहिये कि हम 


आपको प्रकाश स्वरुपी दीपक अर्पित कर रहे हैं हमारे जीवन में भी आनन्द स्वरूपी 


प्रकाश करो, ........ 


दीप दान १, ५, ७ . ११, २१, ५१, १०१ की संख्या में लिया जाना चाहिये !

मेष लग्न : खाली दोने में छिलके बाली मूंग की दाल २० ग्राम रखें तथा उसके ऊपर



एक घी का दीपक जला कर गंगा नदी में प्रवाहित करें !


वृष लग्न : खाली दोने में सफ़ेद बेला के फ़ूल रखकर तथा उसके ऊपर एक घी का 


दीपक जला कर गंगा नदी में प्रवाहित करें !


मिथुन लग्न : खाली दोने में लाल धुली मसूर की दाल २० ग्राम + गुण रखें तथा 


उसके ऊपर एक घी का दीपक जला कर गंगा नदी में प्रवाहित करें !


कर्क लग्न : खाली दोने में चने की दाल २० ग्राम रखें तथा उसके ऊपर एक घी का 


दीपक जला कर गंगा नदी में प्रवाहित करें !


सिंह लग्न : खाली दोने में काले तिल १० ग्राम रखें तथा उसके ऊपर एक घी का 


दीपक जला कर गंगा नदी में प्रवाहित करें !


कन्या लग्न : खाली दोने में काली मिर्च १० ग्राम रखें तथा उसके ऊपर एक घी 


का दीपक जला कर गंगा नदी में प्रवाहित करें !


तुला लग्न : खाली दोने में चने की दाल + १ हल्दी रखें तथा उसके ऊपर एक 


घी का दीपक जला कर गंगा नदी में प्रवाहित करें !


वृश्चिक लग्न : खाली दोने में लाल धुली मसूर की दाल २० ग्राम रखें तथा उसके


ऊपर एक घी का दीपक जला कर गंगा नदी में प्रवाहित करें !


धनु लग्न : खाली दोने में सफ़ेद तिल १० ग्राम रखें तथा उसके ऊपर एक घी का 


दीपक जला कर गंगा नदी में प्रवाहित करें !


मकर लग्न : खाली दोने में हरी दूब रखें तथा उसके ऊपर एक घी का दीपक जला 


कर गंगा नदी में प्रवाहित करें !



कुम्भ लग्न : खाली दोने में चावल १० ग्राम + मिश्री रखें तथा उसके ऊपर एक 


घी का दीपक जला कर गंगा नदी में प्रवाहित करें !


मीन लग्न : खाली दोने में गेंहूं १० ग्राम रखें तथा उसके ऊपर एक घी का दीपक 


जला कर गंगा नदी में प्रवाहित करें !


किसी भी तरह की आशंका होने पर तुरन्त संपर्क करें !



निवेदक :-



आचार्य सुशील कुमार अवस्थी


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रविवार, 23 अक्तूबर 2011

दीपावली पूजन् का शुभ् मुहूर्त्


दीपावली पूजन् का शुभ् मुहूर्त् :
आप् सभी को दीपावली के शुभ् पर्व् पर् शुभकामनाएं !
मित्रों दीपावली दिनांक् २६ अक्टूबर् २०११ दिन् बुधवार्, इस् दिन् हमारे सनातन् परंपरा है कि इस् दिन् हम् अपने घरों में प्रकाशोत्सव् मनाते हैं धन् और् समृद्धि की देवी लक्ष्मी, शुभता और् कल्यांण् के देव् गणेश् तथा यक्षराज् कुबेर् आदि का पूजन् सुख्-समृद्धि तथा आरोग्य् की कामना से किया जाता है तत्पश्चात् दीप् जलाये जाते हैं !
दीपावली पर्व् का पूजन् शुभ् मुहूर्त् में किया जाना चाहिये, शास्त्र् कहते हैं कि स्थिर् तत्व् की लग्न् में ही पूजन् किया जाना चाहिये, इस् वर्ष् दीपावली, कार्तिक् आमावस्या के दिन् पूजन् वृषभ् लग्न् में किया जाना चाहिये कारण् यह् वृषभ् लग्न् पृथ्वी तत्व् तथा स्थिर् लग्न् है तथा लग्न् स्वयं भौतिक् सुख्-समृद्धि की कारक् राशि है जिसका स्वामी शुक्र् है, शुभ् मुहूर्त् में पूजन् करना अत्यन्त् लाभदायक् होता है यह् लग्न् लगभग् पौने दो घंटे की है तथा अलग्-अलग् शहरों में दीपावली का शुभ् मुहूर्त् इस् प्रकार् है :----
कानपुर् -----------------------------शायं काल् 06.45 से 08.30 तक्
दिल्ली-------------------------------शायं काल् 06.50 से 08.35 तक्
मुम्बई-------------------------------शायं काल् 07.20 से 09.05 तक्
कोलकता----------------------------शायं काल् 06.10 से 07.55 तक्
पटना--------------------------------शायं काल् 06.20 से 08.05 तक्
चण्डीगढ्-----------------------------शायं काल् 06.45 से 08.30 तक्
इन्दौर्-------------------------------शायं काल् 07.05 से 08.50 तक्
अहमदाबाद्--------------------------शायं काल् 07.15 से 09.00 तक्
अन्य् किसी भी शहर् के मुहूर्त् अथवा अन्य् किसी भी समस्या आदि के विषय् में संम्पर्क् करें :
Acharya Sushil Awasthi Prabhakar
http://astrologykp.com/
Mobile No. 91-9236075255, 91-8081825333.


दीपावली पूजन् का शुभ् मुहूर्त् :
आप् सभी को दीपावली के शुभ् पर्व् पर् शुभकामनाएं !
मित्रों दीपावली दिनांक् २६ अक्टूबर् २०११ दिन् बुधवार्, इस् दिन् हमारे सनातन् परंपरा है कि इस् दिन् हम् अपने घरों में प्रकाशोत्सव् मनाते हैं धन् और् समृद्धि की देवी लक्ष्मी, शुभता और् कल्यांण् के देव् गणेश् तथा यक्षराज् कुबेर् आदि का पूजन् सुख्-समृद्धि तथा आरोग्य् की कामना से किया जाता है तत्पश्चात् दीप् जलाये जाते हैं !
दीपावली पर्व् का पूजन् शुभ् मुहूर्त् में किया जाना चाहिये, शास्त्र् कहते हैं कि स्थिर् तत्व् की लग्न् में ही पूजन् किया जाना चाहिये, इस् वर्ष् दीपावली, कार्तिक् आमावस्या के दिन् पूजन् वृषभ् लग्न् में किया जाना चाहिये कारण् यह् वृषभ् लग्न् पृथ्वी तत्व् तथा स्थिर् लग्न् है तथा लग्न् स्वयं भौतिक् सुख्-समृद्धि की कारक् राशि है जिसका स्वामी शुक्र् है, शुभ् मुहूर्त् में पूजन् करना अत्यन्त् लाभदायक् होता है यह् लग्न् लगभग् पौने दो घंटे की है तथा अलग्-अलग् शहरों में दीपावली का शुभ् मुहूर्त् इस् प्रकार् है :----
कानपुर् -----------------------------शायं काल् 06.45 से 08.30 तक्
दिल्ली-------------------------------शायं काल् 06.50 से 08.35 तक्
मुम्बई-------------------------------शायं काल् 07.20 से 09.05 तक्
कोलकता----------------------------शायं काल् 06.10 से 07.55 तक्
पटना--------------------------------शायं काल् 06.20 से 08.05 तक्
चण्डीगढ्-----------------------------शायं काल् 06.45 से 08.30 तक्
इन्दौर्-------------------------------शायं काल् 07.05 से 08.50 तक्
अहमदाबाद्--------------------------शायं काल् 07.15 से 09.00 तक्
अन्य् किसी भी शहर् के मुहूर्त् अथवा अन्य् किसी भी समस्या आदि के विषय् में संम्पर्क् करें :
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दीपावली पूजन विधि


मैं आप सभी के साथ दीपावली के पर्व के अवसर पर होने वाले अनुष्ठान, पूजन आदि के विषय में एक व्यवहारिक चर्चा कर रहा हूं !
आखिर दीपावली क्या है यह क्यों मनाई जाती है ?
कुछ लोग कहते हैं कि भगवान राम चौदह वर्षों के बनवास के बाद वापस आये थे इस कारण उत्सव मनाया जाता है !
कुछ लोग कहते हैं कि भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी इस कारण उत्सव मनाया जाता है ! 
मित्रों कार्तिक मास वर्ष का सबसे अधिक अन्धकार का माह होता है और फ़िर माह की अमावस्या तो सर्वाधिक अन्धकार का दिवस होता है, अन्धकार को हमारी सनातन सभ्यता में अशुभ कहा गया है अन्धकार का अर्थ संकट, दुर्भाग्य, दारिद्र, क्लेश आदि आदि कहा गया है !
जब हमारे समाज-घर आदि में शुभ अवसर अथवा उत्सव होते है तो हम दिये जलाते हैं प्रकाश करते हैं ! 
कार्तिक अमावस्या को सर्वाधिक अन्धकार होता है और हम अन्धकार रूपी दुर्भाग्य, दारिद्र, दुख आदि से मुक्ति हेतु अपने-अपने गृह साफ़-सज्जा आदि करते है नया रंग-रोगन आदि कराते हैं प्रकाश करते है दीप जलाते हैं अपने घरों में हम् गणेश्-लक्ष्मी आदि देवी देवताओं को आमंत्रित् करते हैं उनका पूजन् आदि करते हैं हम आनन्दोत्सव मनाते हैं स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं ! 
हम इस प्रकाशोत्सव के अवसर पर सर्वप्रथम अपने घरों में सुख-समृद्धि की दात्री महालक्ष्मी जी, शुभता-सौभाग्य प्रदाता गणेश जी, धन के देवता यक्षराज कुबेर आदि देवताओं को आमंत्रित करते हैं उनका स्वागत-सत्कार आदि करते हैं उन्हें प्रसन्न करते हैं जिसका मूल कारण है सुख-समृद्धि-आरोग्य की कामना !
लोग अक्सर मुझसे प्रश्न करते हैं कि दीपावली पूजन आदि किस प्रकार करना चाहिये जिससे हमें जीवन में सुख समृद्धि तथा आरोग्य प्राप्त हो सके ! 
वैसे तो आप सभी ने तमाम पुस्तकों, अखबारों, चैनलों तथा वेबसाइटों आदि में पढा होगा कि दीपावली के अवसर पर सुख-समृद्धि-आरोग्य की कामना हेतु पूजन-अनुष्ठान आदि किस प्रकार करना चाहिये ! 
तमाम तरह के मंत्र, श्लोक तथा सूक्त आदि के साथ पूजन आदि का विधान वर्णन रहता है ! जिसमे मूलतः संस्कृत भाषा होती है ! 
संस्कृत देववाणी है, देव भाषा है किसी भी पूजन-अनुष्ठान आदि में संस्कृत का प्रयोग होना चाहिये यह उत्तम है परन्तु संस्कृत के मंत्र, श्लोक, सूक्त आदि के उच्चारण आदि में बहुत सावधान रहने की आवश्यकता होती है अन्यथा श्लोक, मंत्र, सूक्त आदि का अर्थ अनर्थ होने का भय रहता है जिसके परिणाम स्वरूप पूजन-अनुष्ठान आदि से प्राप्त होने वाले परिणाम भी घातक हो सकते हैं ! 
मित्रों समाज में जो समृद्ध लोग हैं वो दीपावली पर्व की पूजा-अनुष्ठान आदि के लिये आचार्य का सहयोग लेते हैं परन्तु आज के समय दीपावली पर्व पर साधारण व्यक्ति पूजा-अनुष्ठान आदि के लिये आचार्य की व्यवस्था नहीं कर सकता है कारण आर्थिक तथा सामाजिक दोनो ही हो सकते हैं !
परिणामतः समाज का सामान्य व्यक्ति जिसने दीपावली पूजन-अनुष्ठान आदि के विधि-विधान के विषय में पुस्तकों, अखबारों, चैनलों तथा वेबसाइटों आदि के माध्यम से जानकारी की है वह भी सुख-समृद्धि-आरोग्य आदि की कामना से दीपावली पूजन अनुष्ठान आदि करता है जिसमें वह विधि में वर्णित संस्कृत के मंत्र-श्लोक-सूक्त आदि का प्रयोग करता है ! 
संस्कृत के मंत्र-श्लोक-सूक्त आदि का शुद्धता से उच्चारण करना सभी के लिये संभव नहीं है परन्तु सुख-समृद्धि-आरोग्य आदि की कामना के कारण लोग संस्कृत के मंत्र-श्लोक-सूक्त आदि का प्रयोग करते हैं ! 
मेरा यहां ये सब कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि संस्कृत के मंत्र-श्लोक-सूक्त आदि से पूजन आदि नहीं करना चाहिये मेरा कहना सिर्फ़ यह हैं कि यदि आप शुद्ध संस्कृत उच्चारण करने में सक्षम हैं तो आवश्य संस्कृत के मंत्र-श्लोक-सूक्त आदि का प्रयोग करें अन्यथा संस्कृत के मंत्र-श्लोक-सूक्त आसि का अशुद्ध उच्चारण आपकी आपेक्षाओं के विपरीत अशुभ परिणाम प्रदान कर सकता है ! 
दीपावली पूजन् में ये आवश्यक् नहीं है कि आप् सिर्फ़् संस्कृत् के मंत्रों, श्लोकों तथा सूक्तियों के द्वारा ही पूजन् करें क्या आप् ऐसा सोचते हैं कि बिना संस्कृत् के मंत्रों, श्लोकों तथा सूक्तियों के कोई पूजन् अनुष्ठान् सफ़ल् नहीं होता ? 
किसी भी पूजा, हवन् अथवा अनुष्ठान् में सबसे अधिक् आवश्यकता है श्रद्धा की और् श्रद्धा ही भाव के माध्यम् से कर्म् में जब् प्रविष्ठ् हो जाती है तो जन्मता है विश्वास्, और् यदि आप् श्रद्धा और् विश्वास् से परिपूरित् हो कर् किसी पूजा, हवन् अथवा अनुष्ठान् आदि को करते हैं तो लाभ् अथवा आपेक्षित् फ़ल् की प्राप्ति आवश्य् होगी ! 
अब् प्रश्न् उठता है कि दीपावली के पूजन् की बिधि क्या है इसे कैसे करना चाहिये ! 
सर्व् प्रथम् दीपावली के पूजन् के समय् से पूर्व् हम् अपने निवास् अथावा घर् को साफ़् सुथरा करना चाहिये !
पूजा के लिये स्थिर् लग्न् के मिहूर्त् की जानकारी कर् शुभ् लग्न् में ही पूजन् प्रारम्भ् करना चाहिये ! 
पूजन् के पूर्व् चावल् तथा हल्दी के मिश्रण् को घोल् कर् घर् के द्वार् के दोनो तरफ़् स्वास्तिक् चिन्ह् तथा द्वार् के ऊपर् ऊं तथा शंख्, चक्र् गदा, पद्म् (कमल्) आदि निर्मित् करने चाहिये ! घर् के द्वार् पर् सुन्दर् बन्दनवार् बांधना चाहिये घर् के बाहर् रंगोली बनाना चाहिये, गाय् के गोबर् से द्वार् के बाहर् लीपना चाहिये ! कहने का तात्पर्य् है कि स्वयं मनोभाव् ये होने चाहिये कि आज् हमारे घर् मां लक्ष्मी, गणेश् आदि देवता पधारने वाले हैं !
पूजा का नियम् बहुत् साधारण् है सर्वप्रथम् धरती मां की पूजा, फ़िर् नव् ग्रह् पूजा, फ़िर् कलश् पूजन् तत्पश्चात् गणेश्-लक्ष्मी आदि का पूजन् किया जाना चाहिये ! 
पूजन् में श्रद्धा पूर्वक् सर्वप्रथम् देवता को आवाहन् करना चाहिये (बुलाना), आसन् प्रदान् करना चाहिये, स्नान् कराना चाहिये, वस्त्र् समर्पित् करना, तिलक् करना, अक्षत् चढाना, फ़ूल् माला चढाना, विशेष् सामग्री समर्पित् करना (गणेश् जी को दूर्बा-धनिया-गुण्-मोदक् , लक्ष्मी जी को कमल् गट्टे का बीज्-सिन्दूर्-पान्-सुपाड़ी आदि,  नैवेद्य् (प्रसाद्) अर्पित् करना, दीपक् समर्पण्, धूप् दर्शन्, आरती !
  पूजा के आन्त् में श्रद्धा पूर्वक् क्षमा याचना करनी चाहिये !
निवेदन् "हे प्रभु हमने आपका स्वागत् सत्कार् अपनी परिस्थिति, सामर्थ्य् और् ज्ञानानुसार् किया है आप् हमारे घर् पधारे हमारे भाग्य् हैं हमारी सेवा आरती स्वीकार् की हमें धन्य् किया आपने हमसे यदि कोई गलती हुई हो तो अपना जान् हमें क्षमा करना हम् पर् कृपा करें प्रभु हमारे सुख् और् आनन्द् में आप् हमेशा हमारे साथ् रहें"

रविवार, 10 जुलाई 2011

मंगल दोष



मंगल दोष : बात लगभग दो महिने पहले की है जब सुबह मैं जब टहलने जा रहा था तभी मेरे नगर के एक बुजुर्ग रास्ते में मिल गये कहने लगे कि अवस्थी जी आपसे एक काम है मैने कहा आदेश करिये !
वो मेरे साथ-साथ टहलते हुए वो काफ़ी दुखी मन से बोले, "मेरी एक पोती की कुण्डली में मंगल दोष है !"
मैंने मह्सूस किया कि वो बहुत दुखी भाव से यह सब कह रहे थे, उनकी आंखों मे भय तैर रहा था....
मैने मुस्कुराते हुए उनसे प्रश्न किया,  "ये मंगल दोष आखिर क्या है?"
वो बुजुर्ग हैरानी से मेरी ओर देखते रह गये बोले’ "भैया अभी पिछले हफ़्ते जब दिल्ली गया था वहीं मेरी बडी बेटी की ससुराल है उसी की रिश्तेदारी में ही एक लडका था जिससे मेरी पोती के रिश्ते के लिये बात चल रही थी सो कुण्डली लडके वालों के यहां गई थी जब मैं दिल्ली गया था तो उन्होने ही बताया कि एक पंडित जी को उन्होने विवाह मिलान के लिये कूण्डली दिखाई थी तो लडके वाले बता रहे थे कि पंडित जी ने कहा है कि इस लडकी की कुण्डली में मंगल दोष है ये बहुत अशुभ है"
इतना सुनकर मुझे दुख तो हुआ पर क्रॊध भी आ रहा था कि ये कौन सा ड्रामा है मंगल दोष ?
मैंने उनसे कहा कि ये कोई भी दोष नहीं है आप मुझे कुण्डली दिखाना !
उन्होंने मुझे बताया कि लडके के पिता उनके बहुत पुराने मिलने वाले हैं उन्होने मुझे ये मंगल दोष की जो बात बताई है ये घर में कोई नहीं जानता, क्यों कि इस दोष के बारे में यदि घर पर सभी जानेगे तो चिन्ता बढेगी !
मैने उनसे प्रश्न किया कि इस दोष से मुक्ति का कोई उपाय क्या दिल्ली वाले महराज जी ने बताया है !
इस पर वह बोले हां एक अनुष्ठान की बात कही है लगभग २०,०००/- का खर्च लडके वालों से बताया था !
मैने उनसे कहा आप लड्के वालों के माध्यम से पंडित जी से बात करिये कि यदि यह अनुष्ठान करा दिया जाय तो क्या उस लडके के साथ आपकी पोती की शादी हो सकती है ? और उसके बाद मुझे दोनो कूण्डली दिखा दीजियेगा ! आप किसी तरह का किसी से कोई वादा मत कीजियेगा और तनाव में मत रहिये ये राज काज है सब ठीक हो जायेगा ! आप अपनी टेंशन मुझे दे दो !
इतना सुनकर वो बोल पडे जब से दिल्ली से आया हूं बहुत टेंशन है घर में किसी को कोई बात नही बताई है कारण मैं दिल्ली किसी दूसरे काम से गया था, बेटे को इसलिये नहीं बताई कि व्यापार का ही काफ़ी टॆंशन है और वो ब्लडप्रेशर का मरीज भी है !
खैर मैने उन्हे शाम सात बजे का समय दिया कि दोनो का जन्म विवरण और पंडित जी की राय के साथ मुझे मिलिये !
शाम सात बजे वो मेरे पास आ गये उनके चेहरे से संन्तुष्टि झलक रही थी परन्तु उस वक्त मैं कुछ अन्य लोगों के साथ व्यस्त था, लगभग आधे घंटे बाद उनसे मेरी बात हुई !
वो तुरन्त मुझसे कहने लगे कि पंडित जी का कहना है कि अनुष्ठान सम्पन्न होने के बाद दोष शान्त हो जायेगा तब इन दोनो की शादी में कोई व्यवधान नहीं है !
मैने प्रश्न किया कि क्या इस सम्बन्ध के लिये लडके वाले राजी हैं ?
इस पर वह कहने लगे कि लडके के पिता से उनके घनिष्ट संम्बन्ध हैं वह तो राजी हैं इसमें कोई समस्या नहीं है ! वो तो अनुष्टान अपने घर पर ही करवाना चहते हैं !
मैने कहा खैर आप अभी ये सब छोडिये अभी तो दोनो की कुण्डली देखी जाय !
सबसे पहले लडके की कुण्डली मैने देखी बस मेरे मुह से एक ही बात निकली कि ये शादी नहीं करनी है इस लड्के के जीवन में स्थायित्व वैवाहिक स्तर पर नहीं है अर्थात दाम्पत्य जीवन में तनाव रहेगा, और बाकी सब छोड कर आप किसी तरह इस बात की जांच कराइये कि इस लडके का समाजिक रहन सहन कैसा है !
इस पर वह तुरन्त बोले हां ये तो मै तुरन्त पता करवा लुंगा मेरे कई रिस्तेदार दिल्ली में है और सभी व्यापारी है लड्का अपना स्वयं का व्यापार चलाता है तुरन्त पता चल जायेगा,
अब वो मुझसे लडकी की कुण्डली देखने को कहने लगे !
मैने कहा लड्की की कुण्डली बाद में देखुंगा जब आप लडके के बारे में सही जानकारी पता कर लेंगे तब फ़िर लडके की पत्री देखेंगे !
लगभग चार दिन के बाद दोपहर में उनका फ़ोन आया कि वो आज मिलना चाहते हैं मैने शाम सात बजे आने को कहा !
शाम सात बजे वो आ गये साथ में मिठाई का डिब्बा भी ले कर आये थे मैने उनके चेहरे की रंगत देखी तो बात समझ में आ गयी कि लडके के बारे मे तहकीकात पूरी हो गई है !
मैने पूछा बाबू जी क्या बात है आज तो बिल्कुल तरो ताजा लग रहे हैं !
मेरा इतना कहना हुआ कि बाबू जी बोल पडे वो लडका तो बिल्कुल वैसा ही है जैसा आप कह रहे थे बोले उस लड्के की बाजार में मेरा एक रिस्तेदार दलाली का काम करता है उनसे मैने कहा था वो बोले कल मै बाजार के कुछ जवान लड्कों से बात करूगा !
बाबु जी कहे जा रहे थे , जिससे भी उस दलाल नें उस लडके के बारे में पूछा उसने ही उसकी चरित्रिक एंव सामजिक बुराई ही की यहां तक कि उस दलाल को भी यकीन नहीं हो रहा था कारण वह उस बाजार में लगातार रहता है और उसको भी नहीं मालुम था, यहां तक कि लडका देखने में बहुत शरीफ़ लगता है कोई कह नहीम सकता कि चरित्रिक तौर पर इतना खराब है !  

मुझे तो वो बुजुर्ग मिठाई का डिब्बा देकर बोले अब आप बताइये क्या आज मेरी पोती की कूण्डली देखेंगे ?
मैने उनसे कहा अब यह कुण्डली मै तभी देखुंगा जब जरूरत होगी !
उन्होने मुझसे प्रश्न किया कि कम से कम वो जो मंगल वाला खतरनाक योग है उसका तो कुछ निवारण निकालिये !
मैने कहा बाबू जी जिसकी रक्षा स्वयं भगवान कर रहा है उसके लिये हम क्या कर सकते हैं !
अब आप ही बताइये अगर वह दिल्ली वाले पंडित जी नें अगर मंगल योग ना बताया होता तो शादी भी तय हो जाती और आखिर पोती की जिंदगी भी खराब हो जाती सारा का सारा दोष भी आप पर ही आता, खैर जिसकी कुण्डली में मंगल दोष है उसका अमंगल कैसे हो सकता है भाई मंगल अर्थात कल्याण तो दोषी कैसे होगा !
बाबू जी मुस्कुराने लगे कारण वह मुझे बचपन से जानते थे वह बोले अच्छा अब कम से कम ये तो बताइये मै क्या करूं ?
मैने कहा आप आज ड्राइवर के साथ चिडियाघर जाईये और बंदरों की दावत करिये !
शाम को उनका फ़ोन आया तो कहने लगे सभी घर के लोगों को भी पूरी घटना बतादी कारण चीडियाघर जाने की बात से आखिर बात चली और सभी को बता दी और आज चिडियाघर में मंगल देव के दूतों अर्थात बन्दरॊं की दावत की,,,,,,,,,,,
अब आप ही बताइये प्रभू को जिसका कल्यांण करना है तो वो कैसे भी हो होगा !

मेरा यहां कहने का तात्पर्य सिर्फ़ इतना है कि किसी भी कुण्डली के किसी भाव में किसी ग्रह के स्थित होने से ना तो कोई ग्रह शुभ होता है ना अशुभ !
शुभ और अशुभ का मूल्यांकन करने के लिये ये देखना अत्यंन्त आवस्यक है कि ग्रह किस भाव का स्वामी है तथा अपने स्वामित्व भाव से कितने अंशों के अन्तर पर उस भाव में आकर स्थित हुआ है, तथा ग्रह का मनोवैज्ञानिक स्वभाव एंव चरित्र क्या है अब ग्रह जहां बैठा है कम से कम यह तो मूल्यांकन करना चाहिये कि जिस स्थान अर्थात राशि/नक्षत्र में बैठा है उस क्षेत्र की ऊर्जा का स्वभाव चरित्र क्या है अर्थात ग्रह-राशि-नक्षत्र तीनों के मनोवैज्ञानिक स्वभाव चरित्र के समन्वय के आधर पर ही कोई फ़लादेश करना चाहिये, ये आवश्यक नहीं कि जो हमें दिख रहा है वह प्रमाणिक तौर पर सत्य है, इसलिये सूक्ष्म तरीके से अध्यन तथा मूल्यांकन करने के पश्चात ही कुछ कहना चाहिये !
अन्यथा किसी त्रुटी का फ़ल ज्योतिष को भुगतना ही पडेगा ! कारण जातक के साथ तो वही होगा जो ग्रह कह रहे हैं !
मंगल दोष : बात लगभग दो महिने पहले की है जब सुबह मैं जब टहलने जा रहा था तभी मेरे नगर के एक बुजुर्ग रास्ते में मिल गये कहने लगे कि अवस्थी जी आपसे एक काम है मैने कहा आदेश करिये !
वो मेरे साथ-साथ टहलते हुए वो काफ़ी दुखी मन से बोले, "मेरी एक पोती की कुण्डली में मंगल दोष है !"
मैंने मह्सूस किया कि वो बहुत दुखी भाव से यह सब कह रहे थे, उनकी आंखों मे भय तैर रहा था....
मैने मुस्कुराते हुए उनसे प्रश्न किया,  "ये मंगल दोष आखिर क्या है?"
वो बुजुर्ग हैरानी से मेरी ओर देखते रह गये बोले’ "भैया अभी पिछले हफ़्ते जब दिल्ली गया था वहीं मेरी बडी बेटी की ससुराल है उसी की रिश्तेदारी में ही एक लडका था जिससे मेरी पोती के रिश्ते के लिये बात चल रही थी सो कुण्डली लडके वालों के यहां गई थी जब मैं दिल्ली गया था तो उन्होने ही बताया कि एक पंडित जी को उन्होने विवाह मिलान के लिये कूण्डली दिखाई थी तो लडके वाले बता रहे थे कि पंडित जी ने कहा है कि इस लडकी की कुण्डली में मंगल दोष है ये बहुत अशुभ है"
इतना सुनकर मुझे दुख तो हुआ पर क्रॊध भी आ रहा था कि ये कौन सा ड्रामा है मंगल दोष ?
मैंने उनसे कहा कि ये कोई भी दोष नहीं है आप मुझे कुण्डली दिखाना !
उन्होंने मुझे बताया कि लडके के पिता उनके बहुत पुराने मिलने वाले हैं उन्होने मुझे ये मंगल दोष की जो बात बताई है ये घर में कोई नहीं जानता, क्यों कि इस दोष के बारे में यदि घर पर सभी जानेगे तो चिन्ता बढेगी !
मैने उनसे प्रश्न किया कि इस दोष से मुक्ति का कोई उपाय क्या दिल्ली वाले महराज जी ने बताया है !
इस पर वह बोले हां एक अनुष्ठान की बात कही है लगभग २०,०००/- का खर्च लडके वालों से बताया था !
मैने उनसे कहा आप लड्के वालों के माध्यम से पंडित जी से बात करिये कि यदि यह अनुष्ठान करा दिया जाय तो क्या उस लडके के साथ आपकी पोती की शादी हो सकती है ? और उसके बाद मुझे दोनो कूण्डली दिखा दीजियेगा ! आप किसी तरह का किसी से कोई वादा मत कीजियेगा और तनाव में मत रहिये ये राज काज है सब ठीक हो जायेगा ! आप अपनी टेंशन मुझे दे दो !
इतना सुनकर वो बोल पडे जब से दिल्ली से आया हूं बहुत टेंशन है घर में किसी को कोई बात नही बताई है कारण मैं दिल्ली किसी दूसरे काम से गया था, बेटे को इसलिये नहीं बताई कि व्यापार का ही काफ़ी टॆंशन है और वो ब्लडप्रेशर का मरीज भी है !
खैर मैने उन्हे शाम सात बजे का समय दिया कि दोनो का जन्म विवरण और पंडित जी की राय के साथ मुझे मिलिये !
शाम सात बजे वो मेरे पास आ गये उनके चेहरे से संन्तुष्टि झलक रही थी परन्तु उस वक्त मैं कुछ अन्य लोगों के साथ व्यस्त था, लगभग आधे घंटे बाद उनसे मेरी बात हुई !
वो तुरन्त मुझसे कहने लगे कि पंडित जी का कहना है कि अनुष्ठान सम्पन्न होने के बाद दोष शान्त हो जायेगा तब इन दोनो की शादी में कोई व्यवधान नहीं है !
मैने प्रश्न किया कि क्या इस सम्बन्ध के लिये लडके वाले राजी हैं ?
इस पर वह कहने लगे कि लडके के पिता से उनके घनिष्ट संम्बन्ध हैं वह तो राजी हैं इसमें कोई समस्या नहीं है ! वो तो अनुष्टान अपने घर पर ही करवाना चहते हैं !
मैने कहा खैर आप अभी ये सब छोडिये अभी तो दोनो की कुण्डली देखी जाय !
सबसे पहले लडके की कुण्डली मैने देखी बस मेरे मुह से एक ही बात निकली कि ये शादी नहीं करनी है इस लड्के के जीवन में स्थायित्व वैवाहिक स्तर पर नहीं है अर्थात दाम्पत्य जीवन में तनाव रहेगा, और बाकी सब छोड कर आप किसी तरह इस बात की जांच कराइये कि इस लडके का समाजिक रहन सहन कैसा है !
इस पर वह तुरन्त बोले हां ये तो मै तुरन्त पता करवा लुंगा मेरे कई रिस्तेदार दिल्ली में है और सभी व्यापारी है लड्का अपना स्वयं का व्यापार चलाता है तुरन्त पता चल जायेगा,
अब वो मुझसे लडकी की कुण्डली देखने को कहने लगे !
मैने कहा लड्की की कुण्डली बाद में देखुंगा जब आप लडके के बारे में सही जानकारी पता कर लेंगे तब फ़िर लडके की पत्री देखेंगे !
लगभग चार दिन के बाद दोपहर में उनका फ़ोन आया कि वो आज मिलना चाहते हैं मैने शाम सात बजे आने को कहा !
शाम सात बजे वो आ गये साथ में मिठाई का डिब्बा भी ले कर आये थे मैने उनके चेहरे की रंगत देखी तो बात समझ में आ गयी कि लडके के बारे मे तहकीकात पूरी हो गई है !
मैने पूछा बाबू जी क्या बात है आज तो बिल्कुल तरो ताजा लग रहे हैं !
मेरा इतना कहना हुआ कि बाबू जी बोल पडे वो लडका तो बिल्कुल वैसा ही है जैसा आप कह रहे थे बोले उस लड्के की बाजार में मेरा एक रिस्तेदार दलाली का काम करता है उनसे मैने कहा था वो बोले कल मै बाजार के कुछ जवान लड्कों से बात करूगा !
बाबु जी कहे जा रहे थे , जिससे भी उस दलाल नें उस लडके के बारे में पूछा उसने ही उसकी चरित्रिक एंव सामजिक बुराई ही की यहां तक कि उस दलाल को भी यकीन नहीं हो रहा था कारण वह उस बाजार में लगातार रहता है और उसको भी नहीं मालुम था, यहां तक कि लडका देखने में बहुत शरीफ़ लगता है कोई कह नहीम सकता कि चरित्रिक तौर पर इतना खराब है !  

मुझे तो वो बुजुर्ग मिठाई का डिब्बा देकर बोले अब आप बताइये क्या आज मेरी पोती की कूण्डली देखेंगे ?
मैने उनसे कहा अब यह कुण्डली मै तभी देखुंगा जब जरूरत होगी !
उन्होने मुझसे प्रश्न किया कि कम से कम वो जो मंगल वाला खतरनाक योग है उसका तो कुछ निवारण निकालिये !
मैने कहा बाबू जी जिसकी रक्षा स्वयं भगवान कर रहा है उसके लिये हम क्या कर सकते हैं !
अब आप ही बताइये अगर वह दिल्ली वाले पंडित जी नें अगर मंगल योग ना बताया होता तो शादी भी तय हो जाती और आखिर पोती की जिंदगी भी खराब हो जाती सारा का सारा दोष भी आप पर ही आता, खैर जिसकी कुण्डली में मंगल दोष है उसका अमंगल कैसे हो सकता है भाई मंगल अर्थात कल्याण तो दोषी कैसे होगा !
बाबू जी मुस्कुराने लगे कारण वह मुझे बचपन से जानते थे वह बोले अच्छा अब कम से कम ये तो बताइये मै क्या करूं ?
मैने कहा आप आज ड्राइवर के साथ चिडियाघर जाईये और बंदरों की दावत करिये !
शाम को उनका फ़ोन आया तो कहने लगे सभी घर के लोगों को भी पूरी घटना बतादी कारण चीडियाघर जाने की बात से आखिर बात चली और सभी को बता दी और आज चिडियाघर में मंगल देव के दूतों अर्थात बन्दरॊं की दावत की,,,,,,,,,,,
अब आप ही बताइये प्रभू को जिसका कल्यांण करना है तो वो कैसे भी हो होगा !

मेरा यहां कहने का तात्पर्य सिर्फ़ इतना है कि किसी भी कुण्डली के किसी भाव में किसी ग्रह के स्थित होने से ना तो कोई ग्रह शुभ होता है ना अशुभ !
शुभ और अशुभ का मूल्यांकन करने के लिये ये देखना अत्यंन्त आवस्यक है कि ग्रह किस भाव का स्वामी है तथा अपने स्वामित्व भाव से कितने अंशों के अन्तर पर उस भाव में आकर स्थित हुआ है, तथा ग्रह का मनोवैज्ञानिक स्वभाव एंव चरित्र क्या है अब ग्रह जहां बैठा है कम से कम यह तो मूल्यांकन करना चाहिये कि जिस स्थान अर्थात राशि/नक्षत्र में बैठा है उस क्षेत्र की ऊर्जा का स्वभाव चरित्र क्या है अर्थात ग्रह-राशि-नक्षत्र तीनों के मनोवैज्ञानिक स्वभाव चरित्र के समन्वय के आधर पर ही कोई फ़लादेश करना चाहिये, ये आवश्यक नहीं कि जो हमें दिख रहा है वह प्रमाणिक तौर पर सत्य है, इसलिये सूक्ष्म तरीके से अध्यन तथा मूल्यांकन करने के पश्चात ही कुछ कहना चाहिये !
अन्यथा किसी त्रुटी का फ़ल ज्योतिष को भुगतना ही पडेगा ! कारण जातक के साथ तो वही होगा जो ग्रह कह रहे हैं !

मंगलवार, 21 जून 2011

अमरनाथ यात्रा


इस वर्ष अमरनाथ जी की गुफ़ा में शिव लिंग लगभग 18 फ़िट का निर्मित हुआ है तथा बर्फ़ भी प्रति वर्ष की अपेक्षा बहुत अधिक है परन्तु जो चिंन्ता का विषय है वो यह कि इस वर्ष मानसून बहुत जल्द आ गयांहै जिस कारण यात्रा में असुविधा का खतरा है कारण जिस तरह निचले स्थानों पर बारिस होती है तब ऊंचे पहाडों पर बर्फ़ बारी का खतरा रहता है ! यह चित्र इस वर्ष 2011 में निर्मित शिव लिंग का है !

अमरनाथ यात्रा को उत्तर भारत की सबसे पवित्र तीर्थयात्रा माना जाता है। यात्रा हर वर्ष जुलाई-अगस्त में आयोजित की जाती है। यात्रा के दौरान भारत की विविध परंपराओं, धर्मो और संस्कृतियों की झलक देखी जा सकती है। अमरनाथ यात्रा का मार्ग बहुत ही सुन्दर और मनोरम है। यह माना जाता है कि अगर तीर्थयात्री इस यात्रा को सच्ची श्रद्धा से पूरा कर तो वह भगवान शिव के साक्षात दर्शन पा सकते हैं। भगवान शिव अजर-अमर है। भगवान शिव सृष्टि की आत्मा हैं।                              
इस यात्रा का अपना ही आनंद है। अमरनाथ गुफा तक पहुंचने का रास्ता बहुत कठिन है। यह लगभग 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। अमरनाथ का रास्ता साफ-सुथरा है। अमरनाथ गुफा में हर साल सावन मास में प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनता है। यह विश्व में अपनी तरह का अकेला बर्फ का लिंग है। भूविज्ञानियों के अनुसार यह बर्फ की बनी साधारण आकृति है और श्रद्धालुओं ने इसे आस्थावश शिवलिंग का रूप दे दिया है। यहां जो शिवलिंग बनता है वह एक निश्चित स्थान पर और अपने पूर्ण रूप में बनता है। यह शिव भक्तों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। अमरनाथ यात्रा करने के लिए हर साल सैकडों की संख्या में तीर्थयात्री यहां पहुंचते हैं। यहां का वातावरण पंडितों, तीर्थयात्रियों, सुरक्षाकर्मियों और दुकानदारों को एक सुत्र में पिरो देता है और सब शिवमय हो जाते हैं।

कोई भी तीर्थयात्री जब पहली बार यहां आता है तो उसकी जिंदगी में कुछ बदलाव जरूर आता है। यहां आने पर व्यक्ति को अद्वितीय शांति का अनुभव होता है। एक बार जो यहां आ जाता है, वह दोबारा यहां आए बिना नहीं रह पाता। एक श्रद्धालु के अनुसार वह यहां पहली बार सन 2000 में आया था। जब वह एक विद्यार्थी था, वहां से घर लौटते समय उसे रास्ते में ही नौकरी मिल गई तब से वह यहां हर साल आता है।
लोक कथाएंगुफा में शिवलिंग के ऊपर बूंद-बूंद जल टपकता है। उसी जल के जमने से शिवलिंग बनता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यह जल रामकुंड से टपकता है जो गुफा के बिल्कुल ऊपर है। पूर्णिमा की रात को शिवलिंग अपने पूर आकार में होता है। कहा जाता है कि  पूर्णिमा के दिन जैसे-जैसे चांद का आकार घटता-बढता है वैसे-वैसे शिवलिंग का आकार भी घटता-बढता है। पंडितों का कहना है कि भगवान शिव ने अपने आप को सावन मास की पूर्णिमा को पहली बार प्रकट किया था। इसी मान्यता के अनुसार सावन मास में अमरनाथ जी की यात्रा को शुभ माना जाता है।
यह माना जाता है कि इसी गुफा में भगवान शिव ने अपनी पत्नी पार्वती को अमरता की कथा सुनाई थी। भगवान शिव ने उनको कथा सुनाने के लिए ऐसी जगह की तलाश की जहां कोई प्राणी उस कथा को सुन न सके। वही जगह आज अमरनाथ जी के नाम से जानी जाती है। रास्ते में उन्होंने अपनी नंदी बैल को पहलगाम में छोडा,चंदनवाडी में चांद को अपनी जटाओं से अलग किया, शेषनाग झील के पास अपने गले में पडे सांप को छोडा, अपने पुत्र गणेश को महागुनास पर्वत पर छोडा, पंचतरनी में पांच महाभूतों(पृथ्वी, अग्नि, जल, आकाश, वायु ) को छोडा, इन पंच महाभूतों के मिलने से ही प्राणी बनता है। इन सब को छोडने के बाद भगवान शिव ने पार्वती के साथ अमरनाथ गुफा में प्रवेश किया। हिरण की खाल पर बैठकर उन्होंने कालाग्नि को बुलाया और उसे आदेश दिया की वहां मौजूद हर जीवित प्राणी को नष्ट कर दे। इसके बाद भगवान शिव ने पार्वती को अमरता की कथा सुनाई। सौभाग्य से भगवान शिव के आसन के नीचे कबूतर का अण्डा सकुशल बच गया और उन्होंने अमरता की कहानी सुन ली। उस अण्डे में से दो अमर कबुतर पैदा हुए क्योंकि उन्होंने अमरता की कहानी सुन ली थी। आज भी ये कबूतर वहीं हैं। उन्होंने इस गुफा को ही अपना घर बना लिया है।
शेषनाग झीलशेषनाग झील में स्नान करना पवित्र माना जाता है। हालांकि इस झील का पानी वर्फीला होता है फिर भी श्रद्धालु इस झील में स्नान करते हैं। पंचतरणी में सब कुछ त्यागने के बाद भगवान शिव ने तांडव किया था। तांडव करते समय भगवान शिव की जटाएं खुल गई, जटाएं खुल जाने के फलस्वरूप गंगा उनकी जटाओं से छिटक गई और पांच धाराओं में प्रवाहित होने लगी।
सन 2000 में अमरनाथ गुफा के प्रबन्धन की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने अपने हाथों में ले ली। अब इसकी सारी जिम्मेदारी श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड की है जो जम्मू-कश्मीर सरकार के अधिकार में है। अमरनाथ की यात्रा पर केवल आम आदमी ही नहीं बडी-बडी हस्तियां भी आती हैं। अमरनाथ की पवित्र गुफा तक शिव-पार्वती ही नही अनेक तीर्थयात्री, संत-महात्माओं समेत स्वामी विवेकानन्द एवं स्वामी रामतीर्थ भी आ चुके हैं। हजारों सालों पहले आदि शंकराचार्य भी भगवान शिव के दर्शन के लिए यहां आए थे। भारत पर अपनी किताब लिखने से पहले वी. एस. नायपॉल भी अमरनाथ यात्रा कर चुके हैं। अपनी तीर्थयात्रा के बार में उन्होंने लिखा है कि अमरनाथ यात्रां एक अलग अनुभव है और हर व्यक्ति को अपनी जिंदगी में एक बार यहां जरूर आना चाहिए।
यह यात्रा भारत की बहुसंस्कृति को दर्शाती है। इस यात्रा की सबसे बडी विशेषता यह है कि हिन्दुओं का तीर्थस्थल होने के बावजूद इस यात्रा के सभी आयोजक मुस्लिम है। स्थानीय लोगों के अनुसार अमरनाथ गुफा को खोजने वाला भी मुस्लिम चरवाहा ही था। वह अपनी खोई हुई भेड़ को खोजते हुए यहां तक आ गया था। अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के बहुत सार सदस्य भी मुस्लिम हैं। अमरनाथ में लगभग 200 दुकानें हैं। इन दुकानों पर पूजा और जरूरत का अन्य सामान मिलता है। आश्चर्यजनक रूप से इन सभी दुकानों के मालिक मुस्लिम हैं। दुकानदारों के अलावा यहां के सभी टट्टू वाले, कुली और तम्बु वाले भी मुस्लिम ही हैं। वह विषम परिस्थितियों में भी उत्तम सेवाएं देते हैं और गर्व महसुस करते हैं। उनकी सेवाओं की प्रशंसा करने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं।
अमरनाथ यात्रा पर हर साल हजारों साधु आते हैं और वह इस यात्रा की पहचान है। यह यात्रा वनस्पति विज्ञानियों और भूगर्भशास्त्रियों के लिए स्वर्ग है। यहां अनेक प्रकार की जडी़-बूटियां और जंगली फूल मिलते हैं जो उन असाध्य रोगों को भी ठीक कर सकती है जिन्होंने डॉक्टरों और जीव विज्ञानियों को आज भी परेशान कर रखा है। यह जडी़-बूटियां उन पहाडों पर मिलती है जहां कोई नहीं रहता।
अमरनाथ गुफा मार्ग
अमरनाथ गुफा मार्ग घने जंगलों से होकर गुजरता है। इन जंगलों में अनेक सुन्दर नजार देखे जा सकते हैं। इसके अलावा यहां पर लिडर नदी की चंचल और निर्मल धारा भी बडा ही सुन्दर नजारा पेश करती है। चंदनवाडी में शेषनाग और अस्थान मार्ग नदियों का मिलन स्थल है। यहां से पिस्सु घाटी पहुंचनें के लिए 3 किमी. की चढा़ई करनी पडती है। वहां तक पहुंचने का रास्ता सुनसान और मश्किलों भरा है। यह इस यात्रा का सबसे दुर्गम मार्ग है। यह लगभग 10,403 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह रास्ता व्यक्ति को अहसास कराता है कि मोक्ष प्राप्त करना कितना कठिन है।
शेषनाग झील पर पहुंचना भी बहुत कठिन है। यह 1.5 किमी. लम्बी, 1.2 किमी. चौडी और 11,712 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पहुंच कर तीर्थ यात्रियों को एक अलग प्रकार की अनुभूति होती है। यह झील बहुत ही सुन्दर और पवित्र है। चांदनी रात में इसकी शोभा और भी बढ जाती है। यह झील बर्फ की ऊंची-ऊंची चोटियों से घिरी हुई है। पहलगाम के बाद रात बिताने के लिए यह सबसे उपयुक्त स्थान है। रात के समय तम्बू के समीप जले अलाव के पास बैठकर तीर्थयात्री भगवान शिव एवं शेषनाग की महिमा का गुणगान करते हैं।

शेषनाग झील और महागूनास चोटी के बाद पिस्सु घाटी आती है। यह 15,091 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह इस तीर्थयात्रा की सबसे ऊंची चढाई है। यहां तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को 6 किमी. की चढाई चढनी पडती है। यहीं से सिन्ध घाटी का रास्ता जाता है। वहां पहुंचने के लिए पहले लिडर घाटी पार करनी पडती है। अमरनाथ गुफा के रास्ते में तीन पडाव आते हैं। इस यात्रा का तीसरा और अंतिम पडाव महागुनास चोटी से 7 किमी. नीचे पंचतरणी के मैदानों में पडता है।
महागूनास की चोटी से पंचतरणी जाते हुए रास्ते में पशुपत्री आता है। यहां पर हर साल दिल्ली की श्री शिव सेवक सोसाइटी द्वारा भंडारे का आयोजन किया जाता है। इस भंडारे में विविध प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं। याद रहे की पशुपत्री में रूकने की व्यवस्था नहीं है लेकिन पंचतरणी में रूका जा सकता है। पंचतरणी से अमरनाथ जी की गुफा 6 किमी. दूर रह जाती है। वहां तक पहुंचने का रास्ता बहुत ही संकरा और घुमावदार है। एक भी गलत कदम आपको 2,000 फीट नीचे पंचतरणी के मैदान में गिरा सकता है।

गुरुवार, 16 जून 2011

क्यों बढ रही हैं तलाक की दर आज ?

आज के भौतिकवादी वतावरण में जहां मनुष्य अपने जीवन में व्यस्त से व्यस्ततम होता जा रहा है वहीं आज समाज में परिवारों में बिखराव होता जा रहा है संयुक्त परिवार तो आज देखने को नहीं मिलते जिसका परिणाम यह कि वैवाहिक जीवन अलगाव की राह पर चल पडता है !
आज समाज में तलाक की दर दिन प्रतिदिन बढती जा रही है यहां तक कि पश्चिमी देश तलाक के मामले में हमसे पीछे रह गये हैं, जो दम्पत्ति कल कह रहे थे कि वे एक दूसरे के बगैर जी नही सकते वो आज एक दूसरे के चेहरे नहीं देखना चाहते आखिर यह सब क्यों ?
कोई तो ऐसी चीज है जिसके कारण यह सब घट रहा है ?
दुनिया का हर व्यक्ति एक संतुष्टि चाहता है अब वह संतुष्टि क्या है किस प्रकार की संतुष्टि है उस व्यक्ति की द्रष्टि में उस संन्तुष्टि की परिभाषा क्या है क्या है उसके संन्तुष्टि को नापने का पैमाना............
यह प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तिगत मनोविज्ञान का अध्यन करने के बाद पता चलता है !

रही बात असंन्तुष्टि के बाद पैदा होने वाले तनाव की .............

कई बार देखने में आया है कि असंन्तुष्टि जन्म किसी दूसरे व्यक्ति से है जिसका पारिवरिक माहौल से कोई लेना देना नहीं है पर उस असंन्तुष्टि के कारण जो तनाव पैदा हो रहा है उसका असर परिवारिक जीवन में आ रहा है !

आप इसे इस प्रकार समझिये कि आपसे रास्ते में किसी अधिकारी से कोई बात हुई आपकी कोई भी गलती ना होने के बाद भी अधिकारी ने आपसे ऐसा व्यवहार किया कि आप तनाव ग्रस्त हो गये पर आप उस अधिकारी से कुछ नहीं कह पाए !
परिणाम आपके अन्दर जो तनाव, क्रोध या आक्रोश है वह तो अन्दर है आप उस अधिकारी से कुछ नहीं कह पाए .......यह आक्रोश जो आपके अन्दर है यह बाहर निकलने को बेताब है .......
अब इस घटना के तुरन्त बाद यदि कोई आपके संपर्क में आया तो संभव है उसके प्रति अपके द्वारा होने वाले व्यवहार में वह आक्रोश प्रकट हो सकता है !
कहने का तात्पर्य यह कि तनाव कहीं का काम कहीं कर रहा है !
परिणाम तो खुदा जाने ..........
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गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

ज्योतिष के अनुसार प्रेम एंव विवाह ! LOVE & RELATIONSHIP PROBLEM


ज्योतिष के अनुसार प्रेम एंव विवाह ! LOVE & RELATIONSHIP PROBLEM
किसी भी जातक/जातिका की कुण्डली में प्रेम संम्बन्ध है यह जानना पहली बात है, ये प्रेम संबन्ध विवाह में परिणित होंगे या नहीं यह दूसरी बात, यदि उन दोनों का विवाह हो गया उसके  बाद क्या प्रेम कायम रहेगा या नहीं यह तीसरी बात, जिन दोनों के मध्य यह प्रेम हुआ क्या इनके बीच कोई तीसरा है क्या यह चौथी बात है प्रश्न अनंत है अर्थात यह एक बहुत बडा शोध का विषय है एक जातक का प्रेम हुआ बहुत मुश्किलात के बाद प्रेम विवाह मे परिणित हुआ विवाह के बाद जातक के अपने परिवार के साथ संम्बन्ध समाप्त हो गये कुछ समय के बाद पत्नी का किसी दूसरे से प्रेम हो गया उसने अपने पति को तलाक दे दिया दूसरे के साथ सादी हुई फ़िर तलाक हुआ वापस पहले वाले पति से विवाह हुआ ! इन सब के लिये जो भी भाव उत्तरदायी है उन भाव के कारक तथा उनके साथ वर्तमान समय में चलरही दशा के साथ साथ गोचर सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है ! 

बहुत से मित्र कुछ किताबों में लिखे ग्रहों की स्थिति पर आधारित योग आदि पढ लेते हैं और सशंकित हो अपने सुन्दर जीवन को नर्क बना देते हैं हमारे शहर की एक महिला ने किसी ज्योतिषी का ब्लोग पढा जिसमें यह लिखा था कि यदि किसी की कुण्डली में शुक्र फ़लां भाव में स्थित हो तो जातक के कई प्रेम संम्बन्ध होते है बस पति के लिये पत्नी के मन मे संशाय उत्पन्न हो गया बात यहां तक पहुंच गई कि पत्नी मायके चली गई !

एक दिन कानपुर के मर्चेन्ट चैम्बर में एक संस्था का सामाजिक प्रोग्राम था मेरा ज्योतिष शिविर लगा था जिसका विषय था "निशुल्क कुण्डली का वैज्ञानिक विश्लेषण" वो महिला मेरे पास शिविर में आई मुझसे पूछा किसी व्यक्ति की कुण्डली से उस व्यक्ति के विषय में क्या जाना जा सकता है मुझे लगा कि एक पढी लिखी महिला बहुत गम्भीरता पूर्वक यह प्रश्न पूछ रही थी ! मैने कहा महोदया यह एक विद्या है इसकी सीमाएं है परन्तु यह विषय पर निर्भर करता है कि आखिर कुछ जानने की आवश्यकता क्यों है आवश्यक आवश्यकताओं के लिये इसका इस्तेमाल किया जा सकता है परन्तु विलाशी आवश्यकताओं की पूर्ती के लिये इसका इस्तेमाल मै नहीं करता !

इस पर महिला ने कहा यदि समस्या किसी दुसरे किसी की जिन्दगी से सम्बन्धित हो तो! मैने कहा कि देखिये मेरे कुछ उसूल है सीमाएं है हां मैं भी व्यवसायिक ज्योतिषी हू परन्तु मै अपने सिद्धान्तों से समझौता नहीं करता वो महिला मेरा मोबाइल नं० लेकर चली गई अगले दिन उनका फ़ोन आया उन्होने मुझे अपनी कुण्डली नोट कराई मैने उन्हे समय दे दिया वह आई मैने कहा कि आपकी समस्या कुछ भी नही है आप संसय मे जी रही है आप स्वयं अपने तथा अपने नजदीकी लोगों के लिये अनवश्यक समस्या पैदा कर रही है मुझे समस्या का कोई ठोस आधार समझ नहीं आ रहा समस्या का आधार सिर्फ़ आपकी सोच है !

महिला ने बताना प्रारम्भ किया उसकी माता जी भी साथ थीं मैने उसके पति की भी कुण्डली देखी जैसा पत्नी शंका करती थी ऐसा कुछ भी नही था !

परिवार जनों के प्रयासों के बाद पुनः उनके जीवन में सुख आया पत्नी पति के घर गई अभी भी कभी-कभी उस दंम्पत्ति का फ़ोन त्योहार आदि के मौके पर आता है !
मेरा कहने का तात्पर्य सिर्फ़ इतना है कि ये जितने भी योग आदि कहे जाते है यह पूर्ण आपेक्षित परिणाम नहीं प्रदान करते हैं 

कितने ही पिता पुत्री या पुत्र की कुण्डलियां लेकर यह पूछने आते है कि ये प्रेम विवाह तो नहीं करेंगे आदि आदि.....
ज्योतिषी को चाहिये कि योगों के आधार पर फ़लादेश करने से पूर्व उन ग्रहॊं का मूल्यांकन पूर्ण वैज्ञानिक ढंग से करे मुख्यतः जिन ग्रहों के आधार पर आप फ़लादेश कर रहे है उन ग्रहों के बारे में यह तो देखना चाहिये कि कुण्डली मे उन ग्रहों को किन भावों या विषयों की जिम्मेदारी प्रदान की गई है 

ज्योतिष का काम समाज को भय मुक्त करना है न कि समाज में भय फ़ैला कर अपना पेट भरना ! http://astroscientist.weebly.com/

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

क्या क्रिकेट विश्व कप का फ़ाइनल भारत जीतेगा ?

क्या क्रिकेट विश्व कप का फ़ाइनल भारत जीतेगा ? यह प्रश्न उसी समय पैदा हुआ जब भारत सेमीफ़ाइनल का मैच पाकिस्तान से जीता था !
मैने सेमीफ़ाइनल मैच के विषय में जो फ़लादेश किया था वह सही साबित हुआ, अरे ये तो होना ही था कारण जब क्रिष्णमूर्ती पद्धति से प्रश्न कुण्डली का अध्यन किया गया तो ग्रह यह संदेश दे रहे थे कि भारत जीतेगा सो जीत गया, इसमें मेरा किसी भी प्रकार का कोई लेना देना नहीं था हां गुरुदेव के आशिर्वाद एंव बांके बिहारी जी की क्रिपा है जो मैंने प्रश्न कर्ता के प्रश्न का उत्तर देने के लिये ग्रहों की तत्कालीन स्थितियों के आधार पर उनकी ऊर्जा एंव उनके मनोवैज्ञानिक स्वभाव एंव प्रभाव का अध्यन कर यह कहने का प्रयास किया था ! 

आज मैने फ़िर फ़ाइनल मैच की बाबत होने वाले प्रश्नों के परिणाम स्वरूप पुनः प्रश्न कुण्डली के अनुसार ग्रहों के संकेतों के आधार पर फ़लादेश करने का प्रयास किया है जिसमें यह संकेत स्पष्ट हो रहे है कि विश्व कप २०११ का विजेता भारत होगा !मैं यहां पुनः स्पष्ट करदूं कि मै ऐसा कहने के लिये अधिक्रत नहीं हूं यह ज्योतिषीय गणना के आधार पर कह रहा हूं न ही मैं इस बात का अहंकार करता हूं, समस्त घटनाओं के लिये प्रभू ही मुख्य अधिकारी हैं,  यहां मै अपने ज्योतिष प्रेमी मित्रों के सज्ञान के लिये पूर्णतः यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि आखिर यह संदेश ग्रह कैसे दे रहे हैं !
प्रश्न तो लगातार संदेशों, फ़ोन, चैट आदि के मध्यम से हो रहे थे परन्तु आज शाम  16.43 बजे कानपुर में यह गणना  मैने की: गण्ना के समय लग्न प्रश्न अंक के आधार पर व्रष बनी जो 00.00.13 थी अर्थात लग्न नक्षत्र स्वामी सूर्य हुआ जो कुण्डली के ग्यारहवें भाव में स्थित है जो लाभ का संकेत कर रहा है ! स्वयं लग्नेश शुक्र दशंम भाव में स्थित है ! 
यह संकेत स्पष्ट हो रहे है कि विश्व कप २०११ का विजेता भारत होगा !

शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

K P Astrology an Excellent and pure Vedic System of Astrological Predictions


KP System of astrology is an excellent system of astrological predictions developed and advocated by the great Indian astrologer, late Prof. K.S. Krishnamurti. It is the most advanced system of astrology, which is away from the following flaws of Vedic Astrology.

Generally many people might have experienced that predicting of timing of the events is very difficult or even impossible by using Vedic or any other system. Especially in case of twin births, birth charts of the both remain almost same in Vedic system. But, in exact sense, there is always a lot of difference in them. If you want a precise answer for any of your query it is very difficult to obtain in conventional astrology.

In conventional horary astrology if more than one person approaches you at the same time it becomes very difficult to give accurate predictions, as their charts more or less remain the same. Major Differences of KP from Vedic System:

KP System overcomes the shortcomings of conventional astrology and gives you the exact predictions. The following are the major differences of KP from Vedic System that make it a unique system.

It gives importance to the divisions of constellations or stars of the Zodiac, which is obviously most needed for precise prediction. Further, in this system, each Constellation is further divided into 9 subdivisions called ’subs’ based on Vimshottari Dashas Divisions System.

K.P. System uses the most accurate K.P. Ayanamshas for making your birth chart.

It uses Bhava Beginnings opposed to Vedic System that uses Bhava Centres.

KP System is based on the principle that a planet gives results in its Dasha as per the lord of the star in which it is posited rather than by itself.

The benefic or malefic results of a planet will be decided by the Planet’s Sub. Hence planet is the source, planet’s Star-Lord shows the effects and results, and planet’s sub explains final direction of that result.

KP System applied its own unique concept of ‘ruling planets’ for powerful divine guidance to give exact predictions.

This system is tested and found to give predictions for accurate timing of events.

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

SIGNIFICATORS IN KP SYSTEM

     A planet generally gives the result of the house which it occupies, owns and aspectes; also of the house and the matter of which it is a Karaka.  So it is termed as the Significator of that house or matter.

     In the horoscope the sign is on the cusp of each house. Aplanet alwasys occupies the sign and it's strength is determined according as it occupies it's own sign, exalted sign or debilitated sign.  So the occupant is stronger than the owner of the sign.

     Similarly, the Sign is the 1/12 th part of the Zodiac, while the Constellation or Star is the 1/27 th  part of the Zodiac. So the Constellation or Star is stronger than the Sign.

     Hence in the Nakshatr system which is the real Vedic system a planet gives the results indicated by it's star lord and it is called the significator of the houses signified by it's star lord in the strict sense of the term.

     The order of preference regarding the significators of each house is generally determined as under :-

     (a)     A planet in the star of the occupant is stronger than occupant.

     (b)     If there be no planet in the occupant's star consider the occupant.

     (c)     If the house is vacant, consider the planet in the star of the owner of that house.

     (d)     If the house be vacant and if there be no planet in the star of the owner of that house, consider
              the owner of that house.

     (e)     A planet in conjunction or association with, or aspected by the strong significator gives the results
              of the house or houses denoted by that significator.

     (f)     A planet in the star of the planet aspecting the house e.g. supose Saturn in 5th house and it
              aspects the 7th, 11th and 2nd house. So the planet in the star of saturn will give the results of the
              2nd , 7th , and 11th house.