गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

ज्योतिष के अनुसार प्रेम एंव विवाह ! LOVE & RELATIONSHIP PROBLEM


ज्योतिष के अनुसार प्रेम एंव विवाह ! LOVE & RELATIONSHIP PROBLEM
किसी भी जातक/जातिका की कुण्डली में प्रेम संम्बन्ध है यह जानना पहली बात है, ये प्रेम संबन्ध विवाह में परिणित होंगे या नहीं यह दूसरी बात, यदि उन दोनों का विवाह हो गया उसके  बाद क्या प्रेम कायम रहेगा या नहीं यह तीसरी बात, जिन दोनों के मध्य यह प्रेम हुआ क्या इनके बीच कोई तीसरा है क्या यह चौथी बात है प्रश्न अनंत है अर्थात यह एक बहुत बडा शोध का विषय है एक जातक का प्रेम हुआ बहुत मुश्किलात के बाद प्रेम विवाह मे परिणित हुआ विवाह के बाद जातक के अपने परिवार के साथ संम्बन्ध समाप्त हो गये कुछ समय के बाद पत्नी का किसी दूसरे से प्रेम हो गया उसने अपने पति को तलाक दे दिया दूसरे के साथ सादी हुई फ़िर तलाक हुआ वापस पहले वाले पति से विवाह हुआ ! इन सब के लिये जो भी भाव उत्तरदायी है उन भाव के कारक तथा उनके साथ वर्तमान समय में चलरही दशा के साथ साथ गोचर सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है ! 

बहुत से मित्र कुछ किताबों में लिखे ग्रहों की स्थिति पर आधारित योग आदि पढ लेते हैं और सशंकित हो अपने सुन्दर जीवन को नर्क बना देते हैं हमारे शहर की एक महिला ने किसी ज्योतिषी का ब्लोग पढा जिसमें यह लिखा था कि यदि किसी की कुण्डली में शुक्र फ़लां भाव में स्थित हो तो जातक के कई प्रेम संम्बन्ध होते है बस पति के लिये पत्नी के मन मे संशाय उत्पन्न हो गया बात यहां तक पहुंच गई कि पत्नी मायके चली गई !

एक दिन कानपुर के मर्चेन्ट चैम्बर में एक संस्था का सामाजिक प्रोग्राम था मेरा ज्योतिष शिविर लगा था जिसका विषय था "निशुल्क कुण्डली का वैज्ञानिक विश्लेषण" वो महिला मेरे पास शिविर में आई मुझसे पूछा किसी व्यक्ति की कुण्डली से उस व्यक्ति के विषय में क्या जाना जा सकता है मुझे लगा कि एक पढी लिखी महिला बहुत गम्भीरता पूर्वक यह प्रश्न पूछ रही थी ! मैने कहा महोदया यह एक विद्या है इसकी सीमाएं है परन्तु यह विषय पर निर्भर करता है कि आखिर कुछ जानने की आवश्यकता क्यों है आवश्यक आवश्यकताओं के लिये इसका इस्तेमाल किया जा सकता है परन्तु विलाशी आवश्यकताओं की पूर्ती के लिये इसका इस्तेमाल मै नहीं करता !

इस पर महिला ने कहा यदि समस्या किसी दुसरे किसी की जिन्दगी से सम्बन्धित हो तो! मैने कहा कि देखिये मेरे कुछ उसूल है सीमाएं है हां मैं भी व्यवसायिक ज्योतिषी हू परन्तु मै अपने सिद्धान्तों से समझौता नहीं करता वो महिला मेरा मोबाइल नं० लेकर चली गई अगले दिन उनका फ़ोन आया उन्होने मुझे अपनी कुण्डली नोट कराई मैने उन्हे समय दे दिया वह आई मैने कहा कि आपकी समस्या कुछ भी नही है आप संसय मे जी रही है आप स्वयं अपने तथा अपने नजदीकी लोगों के लिये अनवश्यक समस्या पैदा कर रही है मुझे समस्या का कोई ठोस आधार समझ नहीं आ रहा समस्या का आधार सिर्फ़ आपकी सोच है !

महिला ने बताना प्रारम्भ किया उसकी माता जी भी साथ थीं मैने उसके पति की भी कुण्डली देखी जैसा पत्नी शंका करती थी ऐसा कुछ भी नही था !

परिवार जनों के प्रयासों के बाद पुनः उनके जीवन में सुख आया पत्नी पति के घर गई अभी भी कभी-कभी उस दंम्पत्ति का फ़ोन त्योहार आदि के मौके पर आता है !
मेरा कहने का तात्पर्य सिर्फ़ इतना है कि ये जितने भी योग आदि कहे जाते है यह पूर्ण आपेक्षित परिणाम नहीं प्रदान करते हैं 

कितने ही पिता पुत्री या पुत्र की कुण्डलियां लेकर यह पूछने आते है कि ये प्रेम विवाह तो नहीं करेंगे आदि आदि.....
ज्योतिषी को चाहिये कि योगों के आधार पर फ़लादेश करने से पूर्व उन ग्रहॊं का मूल्यांकन पूर्ण वैज्ञानिक ढंग से करे मुख्यतः जिन ग्रहों के आधार पर आप फ़लादेश कर रहे है उन ग्रहों के बारे में यह तो देखना चाहिये कि कुण्डली मे उन ग्रहों को किन भावों या विषयों की जिम्मेदारी प्रदान की गई है 

ज्योतिष का काम समाज को भय मुक्त करना है न कि समाज में भय फ़ैला कर अपना पेट भरना ! http://astroscientist.weebly.com/