बुधवार, 14 अप्रैल 2010

ज्योतिष चिकित्सा

जब भी कोई अपने बारे में या अपनी समस्या के समाधान जानने के लिए किसी ज्योतिषी के पास जाता है तो आम तौर पर अल्पज्ञानी ज्योतिषी मनोविज्ञान का प्रयोग करते हैं उनका दिमाग सिर्फ उस आगंतुक के भाव को पढ़ने में लगा रहता है कुंडली नहीं जब की यदि आप किसी वास्तविक विद्वान के पास किसी समाधान के लिए जायेंगे तो वह सिर्फ कुंडली देखेगा आपको नहीं न ही आपसे आपकी समस्या के बारे में पूछेगा !
जब भी आप किसी विद्वान ज्योतिषी के पास जाते है तो उसी समय कुंडली देखते ही ज्योतिषी वर्तमान ग्रहों की दशा आदि से यह निश्चित कर लेता है की आज क्या घटनाक्रम चल रहा है उससे लाभ या हानि हो रही है तथा उसका क्या निराकरण किया जाय की कोई भी साइड इफेक्ट न होने पाए , क्यों की ये देखना भी जरुरी है की हर क्रिया की प्रतिक्रिया जरुर होगी यह नियम है कारण हो सकता है ज्योतिषी का बताया उपाय कही कोई साइड इफेक्ट कर रहा हो यदि ऐसा होता है तो उपाय करना बंद कर के तुरंत ज्योतिषी जी से संपर्क करना चाहिए क्यों की उपाय बताते समय हो सकता है ज्योतिषी जी का ध्यान उस ओर न गया हो आखिर इन्सान ही तो है !
क्यों की जब भी आप किसी ज्योतिषी के पास जाते है तो यह निश्चित है की आपकी कुंडली में सलाह लेने का योग बन रहा है कोई ग्रह मदत करना चाहता ही और वही आपको ज्योतिषी के पास ले जाता है !
परन्तु किसी के पास जाने से पहले उसके ज्ञान के बारे में जानलेना चाहिए 
या कुंडली दिखाते समय ही ज्योतिषी को समस्या न बताकर उनसे ही पूछे की क्या चल रहा है इससे आपका विस्वाश ज्योतिषी के प्रति बढ़ जायेगा और विस्वाश ही फलदायी होता है क्यों की दवा फायदा उतना ही करेगी जितना उस दवा पर विस्वाश होगा !

ज्योतिषी की समज के प्रति जिम्मेदारियां

आज समाज में ढेरो ऐसी संस्थाएं हैं जो मात्र चार छे महीने में ज्योतिष का कोर्स करा रही हैं क्या चार छह महीने में ज्योतिषी बना जा सकता है या ज्योतिष पढ़ी जा सकती है यह जो भी संस्थाएं कर रही हैं सरकार का इनपर नियंत्रण होना चाहिए ज्योतिष एक भारतीय वैदिक विज्ञानं है इसकी प्रगति होनी चाहिए पर यदि जिस प्रकार संस्थाएं प्रमाण पत्र दे देकर झोला छाप ज्योतिषियों की फौज तैयार कर रही हैं यह समाज और देश  के  भविष्य के लिए अहितकर है कारण जब एक विज्ञानं का विद्यार्थी , चिकित्सा विज्ञानं पढ़कर डाक्टर बनना चाहता है तो सबसे पाहिले उसे एक परीछा देनी पड़ती है जिसमे उसे ये सिद्ध करना होता है की वो चिकित्सा विज्ञानं की डिग्री की जो भी पढाई है उसको पढने के योग्य है अर्थात उसमे आधारभूत योग्यता है उसके बाद भी पढने के साथ साथ उसे प्रक्टिकल तौर पर हॉस्पिटल में जाना पड़ता है इसमे जब पाँच छह वर्ष बीत जाते हैं तब उसे डिग्री हासिल होती है 

समाज और ज्योतिष के साथ खिलवाड़ करने वाले भी ज्योतिषी ही हैं कष्ट सबसे बार यही है की आज ज्योतिष का उपयोग इस कदर हो रहा है की इसके भविष्य का भगवान ही मालिक है !  रही  बात ज्योतिष सम्बेलनो की मै ने भी कई सम्बेलन देखे की शायद बड़े बड़े विद्वान आते हैं कुछ नै शोधे प्रस्तुत करे पर कही कुछ नया नहीं होता एक दुसरे को माला पहिनते है एक दुसरे को सम्मान पत्र देते है शाल उढ़ाते है फोटो खिचाते हैं आखिर एक बात समझ में नहीं आती की ये जो भी हो रहा है इसके पीछे ज्योतिष के विद्वान ही हैं !

विद्या किसी की जागीर नहीं है सभी को ज्योतिष पढने का पूरा अधिकार है पर सबसे पहले यह जानना चाहिए की जब हमें यह विस्वाश हो जाये की कुंडली में हम जो देख कर कह रहे हैं यही होना चाहिए नहीं यही है इतना अनुभव होना चाहिए नहीं तो अधुरा ज्ञान खुद के साथ साथ दुसरे को भी डुबो देगा "हम तो डूबेंगे सम तुम को भी ला डूबेंगे" यही होगा !

ये जो भी हो रहा है इसके लिए समाज भी जिम्मेदार है जरा कोर्स करने वाली सस्थाओं के ठेकेदारों से पूछिए की जब सिर्फ पाँच मिनट के अन्तराल में दो बच्चे  जन्म लेते हैं तो उनमे फर्क क्यों होता है इसपर राय दे दोनों के ही कुंडली , लग्न , ग्रह , दशाएं एक सी होती है दोनों की शनि की साडे शाती एक साथ चलती है एक तरक्की करता है एक परेशनियो को झेलता है , ज्योतिष पूर्णतया सत्य है जरुरत  है की गहरे तक पंहुचा जाये पर वक़्त किसके पास है धंधेबाज है !

मेरा उद्देश्य किसी की बुराई  करना नहीं है पर इस विषय पर हम सभी को तथा सरकार को भी विचार करना चाहिए !

ज्योतिषी की समज के प्रति जिम्मेदारियां

आज समाज में ढेरो संस्थाएं बन चुकी हैं जो की चार छे महीनो में एक साधारण व्यक्ति को ज्योतिषी बना रही हैं ज्योतिष के नाम पर मात्र दस बीस हजार रुपये लेकर प्रमाण पत्र दे देती हैं जरा सामाजिक drastikon से