रविवार, 31 जनवरी 2010

ज्योतिष और ज्योतिषी 


जब आज विज्ञानं ने अभूतपूर्व प्रगति की है मनुष्य चाँद पर पहुँच गया है पर वैदिक विद्व्नो ने ज्योतिष में जो ग्रन्थ तथा सूत्र  लिखे  थे ज्योतिष आज भी वहीँ है, आज जब ज्योतिष ने अभूतपूर्व प्रगति कर ली है तब भी ज्योतिष जगत में कोई भी प्रगति  नहीं की है परन्तु यदि हम अवलोकन करें तो ज्योतिषियो  ने अवश्य तरक्की की है अगर हम स्वर्गीय गुरुदेव के ऍस कृष्णमूर्ति जी के योगदान को हटाके बात करें तो ज्योतिष जगत में कोई भी प्रगति नहीं हुई है !


आज हम देखते  हैं की आज प्रत्येक शहर में ज्योतिष के नाम पर बड़ी बड़ी संश्थाएँ  बन गई हैं जो चार - छह माह में ही एक आम आदमी को ज्योतिषी बना कर  तैयार कर देते हैं फिर क्या वह ज्योतिष की दुकान खोल कर 
बाज़ार लगा देता है दूसरों का भाग्य बता पाए या न बता पाए अपना भाग्य चमका लेता हैं, नतीजा बन्दर के हाथ में उस्तरा और ज्योतिष की  विश्वशनियता को मटियामेट होना  प्रारंभ हो जाती है आखिर ज्योतिष की  इस
कदर गिर रही शाख का जिम्मेदार कौन ! 


क्या आज समाज में ज्योतिष की बड़ी- बड़ी  दुकाने चलाने वालो पर इसकी जिम्मेदारी नहीं है , बड़े - बड़े ज्योतिष सम्मेलनों  का  आयोजन कर तथा एक - दुसरे को माला पहनकर मीडिया में फोटो छपवाकर 
अपने आप को ज्योतिष का ठेकेदार तो घोषित करने पर अमादा है पर ज्योतिष  की तरक्की के बारे में कौन सोचेगा !


आचार्य सुशील अवस्थी "प्रभकर"