सोमवार, 3 मई 2010

विंशोत्तरी दशा

 विंशोत्तरी दशा ज्योतिष जगत में भविष्य फलादेश की सर्वाधिक प्रचलित दशा मानी जाती है !

महान ऋषि पराशर ने इस दशा को सर्वाधिक महत्त्व दिया था , परन्तु आज  भी ज्योतिष जगत में इसका प्रयोग करने वाले ज्योतिषी जो इसका प्रयोग कर रहे हैं इस बात का जबाब नहीं दे पाते कि इस दशा पद्धति में जो नौ ग्रहों को दशा वर्ष निर्धारित किये गए हैं जैसे शुक्र को बीस वर्ष, मंगल तथा केतु को सात वर्ष, सूर्य को 6 वर्ष, चन्द्रमा  को दस वर्ष, गुरु को सोलह वर्ष, शनि को उन्नीस वर्ष, राहु को अठारह वर्ष, बुध को सत्रह वर्ष !

मेरा सिर्फ एक ही सवाल है कि आखिरकार वैदिक ऋषियों ने किस आधार पर एन ग्रहों को दशा वर्ष निर्धारित किये थे इसका आधार क्या था   !

आज  जब ज्योतिष को इतना व्यावसायिक बना दिया गया है बड़ी बड़ी साइटें ज्योतिष फलादेश दे रही हैं बड़ी बड़ी संस्थाए ज्योतिष के कोर्स करा रही हैं परन्तु इस प्रश्न का जबाब नहीं दे पा रहे हैं !

वास्तविकता यही है कि आज ज्योतिष जगत में सिर्फ धन के लिए ही कम हो रहा है वैदिक ऋषियों के सिधान्तों के आधार को जानने के लिए कोई भी प्रयास  नहीं हो रहे हैं यही कारण है कि आज ज्योतिष के ऊपर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं !

ज्योतिष  एक सम्पूर्ण विज्ञानं है इसमे कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगा रहा पर ज्योतिषी समाज में अल्प ज्ञानी विद्वानों पर जरुर !